कर्नाटक की टीम ने लिया बिहार लोक शिकायत निवारण का जायजा

पटना : कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (ई-गवर्नेंस),कर्नाटक के वरीय अधिकारी सुनील पंवार,कार्यपालक निदेशक स्मार्ट गवर्नेंस सेंटर की अगुआई में कर्नाटक राज्य की टीम के द्वारा बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के अध्ययन के लिए 5 एवं 6 फरवरी, 2020 को बिहार का दौरा किया गया|बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम 60 दिनों की अधिकतम अवधि में परिवादी और संबंधित लोक प्राधिकार की उपस्थिति में लोक शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा सुनवाई की प्रक्रिया के माध्यम से आमलोगों की शिकायतों के निवारण की एक अनूठी प्रणाली है|नागरिकों को उनकी लोक शिकायतों की सुनवाई और निवारण के अवसर का कानूनी अधिकार देने वाला बिहार देश में अग्रणी राज्य है|डॉ.प्रतिमा अपर मिशन निदेशक बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन द्वारा अध्ययन दल को बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई,इस पहल की पृष्ठभूमि,विशेषताओं और उपलब्धियों के बारे में बतलाया गया|तत्पश्चात कर्नाटक राज्य की टीम के द्वारा राज्य लोक शिकायत प्राप्ति केंद्र और लोक शिकायत निवारण कार्यालय पटना का दौरा किया गया,जिससे   उन्हें कार्यान्वयन में शामिल वास्तविक प्रक्रिया और विभिन्न हितधारकों से मिलने का अनुभव हो सके|इस अध्ययन दल ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग एवं कल्याण विभाग से संबंधित परिवाद निवारण की 2 सुनवाइयां देखीं और इस अधिनियम के कार्यान्वयन और अनुश्रवण के बारे में विस्तृत चर्चा की|टीम ने मिशन निदेशक-सह-अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग आमिर सुबहानी से मुलाकात कर अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का पूरा अनुभव उनके लिए व्यापक रहा|इस अधिनियम के जन केन्द्रिक दृष्टिकोण और इसके काफी जनोपयोगी होने से इसकी काफी सराहना भी की गई|उन्होंने कहा कि कई बार कई बाधाओं के कारण नागरिकों को नहीं सुना जाता है,लेकिन इस अधिनियम ने ऐसे लोगों को एक ऐसा मंच दिया है जो बहुत प्रेरणादायक है|इस अधिनियम के कार्यान्वयन के हर पहलू के पूरी तरह से ऑनलाइन रहने को भी उन्होंने अद्भुत कहा|अध्ययन दल बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में पाए गए निष्कर्षों से अपने वरीय अधिकारियों को अवगत कराने को काफी उत्सुक दिखा|लोक शिकायत निवारण के बिहार मॉडल को कर्नाटक में भी लागू किया जा सके, उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी कर्नाटक के पदाधिकारियों की एक टीम बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के अध्ययन के लिए बिहार आयी थी,उनके द्वारा इसका अध्ययन कर उसे कर्नाटक में लागू किया गया था|

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