पटना : वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था में पूंजी और टेक्नोलाॅजी का हस्तक्षेप बढ़ा है, बावजूद इसके सामाजिक न्याय और लोक-कल्याण के लिए हमें निरंतर प्रतिबद्ध रहना है|आज आवश्यकता है कि हम तकनीकी और वैज्ञानिक विकास की प्रक्रिया के दौर में भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों तथा सामाजिक समानता की रक्षा के प्रति सचेष्ट रहें|इसकी चर्चा महामहिम राज्यपाल फागू चौहान ने स्थानीय एसके मेमोरियल हाॅल में इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के ‘29वें वार्षिकोत्सव’ का उदघाटन अवसर पर व्यक्त किये|उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति भौतिक विकास के साथ-साथ,आध्यात्मिक विकास पर भी जोर देती है|उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की बात जब मैं करता हूं, इसका सीधा मतलब यह लिया जाना चाहिए कि हमें अपनी ऐतिहासिक विरासतों,भारतीय परम्पराओं और शाश्वत मानवीय मूल्यों के प्रति पूरी तरह आस्थावान रहना है|उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक विकास अगर मानवीय हितों का ख्याल रखते हुए होता है,तो उसमें किसी को भी कोई आपत्ति नहीं हो सकती|राज्यपाल ने कहा कि रामायण, महाभारत, वेद-पुराण, कुरान, बाईबिल सारे धार्मिक-ग्रंथों हमें सदाचार और मानवता के पथ पर चलने की ही प्रेरणा देती है|राज्यपाल ने कहा कि आधुनिक भारत का महान ग्रन्थ ‘भारतीय संविधान’ भारतीय संस्कृति और जीवन का सर्वश्रेष्ठ मर्यादा-ग्रन्थ है,हमें इसकी ‘प्रस्तावना’ को अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करना चाहिए|उन्होंने कहा कि संविधान की ‘प्रस्तावना’ में ही समानता, स्वतंत्रता, शांति, न्याय एवं धर्म-निरपेक्षता आदि जिन बातों का उल्लेख है, वे हमारे जीवन को नियमित बनाने के लिए जरूरी है|श्री चौहान ने कहा कि किसी भी संस्था का ‘वार्षिकोत्सव’ वह अवसर होता है,जिसके माध्यम से वह अपनी विगत प्रगति-यात्रा का मूल्यांकन करती है,और अपने भविष्य के नवनिर्माण हेतु दृढ़संकल्पित होती है|राज्यपाल ने स्वामी विवेकानन्द को उद्धृत करते हुए कहा कि एक आदर्श विद्यार्थी में स्वाभिमान, साहस, चरित्र-बल और आत्मनिर्भरता जैसे गुणों का समाहार आवश्यक है|समारोह में विधायक शकील अहमद खान, पूर्व मंत्री श्रीनारायण यादव, पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह,प्रख्यात चिकित्सक डाॅ.एए हई विद्यालय के संरक्षक डाॅ.एम.हसन, भाप्रसे के अधिकारी अनिमेश पराशरएवं परवेज आलम उपस्थित थे|