प्रत्येक जिला का है अलग-अलग कृषि जलवायु : प्रेम कुमार

पटना : स्थानीय बामेती सभागार में सामरिक अनुसंधान एवं विस्तार योजना (एसआरईपी) से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया,जिसकी अध्यक्षता कृषि मंत्री डाॅ.प्रेम कुमार ने किया|मंत्री डाॅ.कुमार ने कहा कि जिला कृषि में विकास लाने के लिए एक मांग-चालित,स्थिति-विशिष्ट,बहु-क्रियात्मक रणनीतिक और विस्तार योजना (एसआरईपी) का निर्माण आवश्यक है|एसआरईपी कृषि तथा संबंद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान और विस्तार की खामियों को पहचानने की एक प्रक्रिया है,यह जिला में कृषि विकास के लिए एक उपयुक्त रणनीतिक योजना का सुझाव देती है|अनुसंधान और विस्तार,दोनों ही विधाओं का प्रमुख उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि करना है|उत्पादकों की अपेक्षा के आधार पर विस्तार और अनुसंधान तैयार करने के परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी विकसित होती है,जो कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से जुड़े किसानों,व्यावसायियों तथा उद्यमियों के लिए अधिक स्वीकार्य होती है|प्रत्येक जिला के लिए रणनीतिक अनुसंधान और विकास योजना (एसआरईपी) कृषक समुदाय की विशिष्ट समस्याओं का निवारण करने तथा विशेष रूप से भूमिहीन और अन्य वंचित वर्गों को संसाधन उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया जाता है|उन्होंने कहा कि बिहार राज्य का प्रत्येक जिला का अलग-अलग कृषि जलवायु पारिस्थितिकी है,इसलिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक जिला के जलवायु के अनुसार कृषि कार्य,पशुधन तथा कृषि प्रणालियों को विकसित करने के लिए उस जिला के संसाधन की उपलब्धता,सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति,बाजार की व्यवस्था उपादान उपलब्ध कराने वाले केन्द्रों की संख्या तथा अन्य सेवा सुविधाओं के अनुसार सामरिक अनुसंधान एवं विस्तार योजना तैयार की जाय|डाॅ.कुमार ने कहा कि इसके लिए कृषि एवं संबद्ध विभागों के पदाधिकारियों,वैज्ञानिकों,प्रसार कार्यकर्ताओं तथा किसानों की सहायता से ही एसआरईपी का निर्माण किया जाता है|आत्मा योजना के सफल कार्यान्वयन हेतु एसआरईपी का निर्माण पूर्व में किया गया था जिसके आधार पर अबतक योजना के अधीन सभी संबंधित कार्यों को किया जा रहा है|उन्होंने बताया कि एसआरईपी के आधार पर ही प्रक्षेत्र विशेष के लिए चयनित फसल हेतु प्रत्यक्षण एवं संबंधित फसल विशेष पर तकनीकी प्रशिक्षण,किसान पाठशाला,किसान गोष्ठी एवं किसान वैज्ञानिक वार्तालाप सहित अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन आत्मा योजना के माध्यम से राज्य,जिला,प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर सरकार द्वारा समसामयिक कराया जाता है|इस प्रकार के कार्यक्रम किसानों को न केवल जागरूक करता है बल्कि उनका ज्ञानवर्द्धन करते हुए सम्पूर्ण क्षमता संवर्द्धन करता है जिससे किसान फसलों की पैदावार को बढ़ाते हुए अपने आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है|इस अवसर पर डाॅ.आरके सोहाने निदेशक प्रसार शिक्षा,डाॅ.जितेन्द्र प्रसाद निदेशक बामेती,अनिल कुमार झा उप निदेशक (शष्य) शिक्षा सहित सभी जिला के परियोजना निदेशक,आत्मा तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान उपस्थित थे|

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