कृषि व्यापार कार्यशाला का मंत्री प्रेम कुमार ने किया उद्घाटन

पटना :  कृषि मंत्री डाॅ. प्रेम कुमार ने कृषि अनुसंधान और कृषि व्यापार उद्यमियों के बीच समन्वय स्थापित करने से संबंधित कार्यशाला का उद्घाटन स्थानीय होटल में किया| कृषि अनुसंधान में लगे विशेषज्ञों एवं निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सरकारी,अर्द्धसरकारी संस्थानों द्वारा विकसित नये तकनीक को कृषकों के व्यापक हित में उपयोगी बनाने के उद्देश्य से इस कार्यशाला  का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डीएफआईडी), ब्रिटेन के सहयोग से कार्यरत बिहार एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रिफाॅम्र्स इनिसिएटिव बागरीद्ध द्वारा किया गया| इस अवसर पर मंत्री ने कहा कि बागरी राज्य में कृषि के विकास के लिए कई नीतियों के साथ-साथ राज्य में समग्र कृषि अनुसंधान एवं विकास के आधारभूत संरचना के लिए सुझाव कृषि विभाग को उपलब्ध करा रहा है| इसी कड़ी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर में कृषि अनुसंधान एवं कृषि व्यवसाय से संबंधित निजी संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय हेतु इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है| इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के हित में किये जा रहे नित नये अनुसंधानों में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने तथा इसमें आने वाली कठिनाईयों को चिह्नित कर, निजी क्षेत्र द्वारा कृषि क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास में नियामक, कठिनाईयों का निराकरण करने, कृषि उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार विश्वविद्यालय में अनुसंधान कार्य में तालमेल स्थापित करना है|डाॅ. कुमार ने कहा कि बिहार के कृषि विश्वविद्यालयों एवं केन्द्रीय अर्द्ध-सरकारी संस्थानों द्वारा कई प्रकार के नये तकनीकों का विकास किया गया है, किन्तु इसका व्यावसायीकरण नहीं होने के कारण राज्य के किसान इसका लाभ नहीं उठा रहे हैं|बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के अथक प्रयास से राज्य के चार विशिष्ट फसलों भागलपुर का कतरनी धान एवं जरदालू आम, मगही पान तथा शाही लीची को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है फिर भी, राज्य में कृषि क्षेत्र के अनुसंधानों का पेटेंट तथा निजी संस्थानों द्वारा निवेश पर विशेष बल दिया जाना है|प्रधान सचिव, कृषि ने बागरी को इस तरह के कार्यशाला का आयोजन निरंतर करने का निदेश देते हुए कहा कि बिहार की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है|इंग्लैंड के ग्रीनबिच विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डाॅ.टिम चांसलर ने अपने विश्वविद्यालय के बारे में बताया कि उनके विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 150 ऐसी परियोजनाओं पर अनुसंधान चल रहा है, जिसमें कृषि से जुड़े उद्यमी सम्मिलित हैं और इन परियोजनाओं की पूरी लागत 36 बिलियन पाॅण्ड है| उन्होंने बताया कि उनके विश्वविद्यालय द्वारा मुख्य रूप से फसलों पर लगने वाले कीट-व्याधि एवं रोगों पर संधारणीय प्रबंधन पर कार्य किया जाता है और विश्वविद्यालय के छात्रों में कृषि उद्यमिता विकसित करने के लिए उन्हें विभिन्न प्रसंस्करण इकाईयों के साथ संबद्ध किया जाता है|कार्यशाला में भाग ले रहे मसीना बीज, समस्तीपुर के प्रतिनिधि ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय को बेसिक अनुसंधान पर ज्यादा कार्य करने की आवश्यकता है|बिहार इंडस्ट्री एशोसियेशन के केपीएस केशरी ने कहा कि प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त आम के प्रभेद विकसित करने की जरूरत है, साथ ही, टमाटर के प्रभेदों पर भी अनुसंधान की आवश्यकता है| उन्होंने कहा कि लीची में सीडलेस प्रभेद और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है|इस कार्यशाला में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ॰ अजय कुमार सिंह, विशिष्ट रूप से आयोजन हेतु पधारे इंग्लैंड के ग्रीनबिच विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डाॅ. टिम चांसलर, डाॅ. जाॅन लिंटन एवं डाॅ. जाॅन आॅर्चर्ड, सरकारी, अर्द्ध-सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधि एवं  कृषि विभाग के वरीय पदाधिकारी कृषि व्यवसाय से जुड़े कई निजी प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे |

0Shares