देश-दुनिया में जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही है गर्मी : व्यासजी

पटना : जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप देश-दुनिया के पैमाने पर गर्मी की तीक्ष्णता बढ़ती जा रही है, बिहारवासी गभी गर्मी की तीक्ष्णता को झेलते रहे हैं|मार्च माह से लेकर मानसून के आगमन तक राज्य में भीषण गर्मी पड़ती है, इस दौरान लू से बचाव की व्यवस्था में सक्षम हो जाये तो निश्चित तौर पर मानव जीवन की रक्षा हो सकती है|मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्ष 2017 में राष्ट्रीय औसत तापमान से 0.7 डि.सेंटीग्रेड अधिक रहा है,अगर यही स्थिति रही तो भविष्य में बढ़ते तापमान का संत्रास हमें झेलना पड़ेगा|उपरोक्त परिस्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि हम गर्म हवाओं और लू से आमजन को बचाने के लिए अभी से कदम उठाना शुरू करें|यह दायित्व सरकार के एक विभाग अथवा एजेंसी का न होकर सरकार के विभिन्न विभागों,एजेंसियों एवं समुदाय का है,इसके मद्देनजर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण Bihar Heat Action Plan पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा,समाज कल्याण , ग्रामीण विकास,पशु एवं मतस्य संसाधन,स्वास्थ्य, लघु जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण,नगर विकास, उर्जा, पर्यावरण एवं वन, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रतिनिधियों भाग लेते हुए गर्म हवा-लू के कार्ययोजना के क्रियान्वयन पर प्रस्तुतीकरण दिया|इस अवसर पर व्यास जी, उपाध्यक्ष, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि मनुष्य ही नहीं बल्कि जीव-जन्तुओं के लिए गर्म हवा-लू (Heat wave) एक आपदा है|जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में हो रहे बदलाव एवं भीषण गर्मी से होने वाले दुष्प्रभावों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राज्य के लिए Heat Action Plan तैयार करने का निर्णय लिया है|डाॅ.उदयकांत मिश्र ने कहा कि दुनिया में मौत गर्मी से नहीं हाती है,केवल संसाधनों की कमी से होती है, 19 जुलाई, 2018 से भारत का तापक्रम तेजी से बढ़ा है|भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्राधिकरण में बिहार के सभी जिलों के ‘‘हीट वल्नरेबिल्टी इन्डेक्स‘‘ का खाका भी तैयार किया गया है|राज्य में शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, वैसी ही गति से शहरों में ‘‘हीट आइलैंड‘‘ भी बनते जा रहे हैं, इनके कारण दैनिक अधिकतम और न्यूनतम तापक्रम का अन्तर दिना-नुदिन घटता ही जा रहा है| यह बड़ी भयावह स्थिति है जो जैविक ताप सहनशक्ति को लगातार कम करती जा रही है|

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