रोजगार सृजन में पशुपालन का महत्त्वपूर्ण स्थान : प्रेम कुमार

पटना : स्थानीय बामेती सभागार में आयोजित राज्य के प्रगतिशील बकरी पालक किसानों के लिए बकरीपालन विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि मंत्री डाॅ.प्रेम कुमार ने किया| उद्घाटन संबोधन में मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को फसल उत्पादन के अतिरिक्त आय के वैकल्पिक साधन के रूप में कृषि से जुड़े अन्य व्यवसाय,पशुपालन,मुर्गीपालन,डेयरी,मशरूम उत्पादन,मधुमक्खीपालन,वर्मी कम्पोस्ट कार्यों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रही है|प्रशिक्षण के उपरान्त रोजगार के लिए बैंकों से ऋण की उपलब्धता के लिए प्रयास किया जा रहा है|बिहार कृषि प्रधान राज्य है,राज्य की आबादी का लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है,राज्य की अधिकतर आबादी कृषि एवं कृषि से जुड़े विभिन्न व्यवसाय पर निर्भर है|कृषि के साथ-साथ पशुपालन,मत्स्यपालन,डेयरी को बढ़ावा देते हुए किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सकता है, जिसके लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है,इन क्षेत्रों में सरकार द्वारा अनेक किसनोपयोगी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं|इन क्षेत्रों में राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभान्वित भी किया जा रहा है|किसानों को कृषि के साथ-साथ कृषि के संबद्ध विषयों पर तकनीकी जानकारी प्रदान करते हुए उनका क्षमता संबर्धन किया जा रहा है, इसी कड़ी में राज्य के प्रगतिशील किसानों के लिए बकरीपालन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है|मंत्री ने कहाकि पशुपालन प्रक्षेत्र राज्य के आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है|ग्रामीण आबादी के गरीबी उन्मूलन एवं स्वरोजगार तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास द्वारा शहरी बोझ को कम करने में पशुपालन कार्यक्रमों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, राज्य में भूमि आधारित अर्थव्यवस्था की कमी को देखते हुए कृषि के साथ-साथ पशुपालन एक महत्वपूर्ण विकल्प है|राज्य के युवा शक्ति को पशुपालन,गव्यपालन एवं मत्स्पालन व्यवस्था से जोड़कर राष्ट्र की आर्थिक नीति को संपोषित किया जा सकता है|राज्य में 19 वीं पशुगणना के आधार पर बकरियों की कुल संख्या121 लाख है जो भारत वर्ष में तीसरे स्थान पर है|बिहार में लगभग 91 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषक हैं,जिनके लिए बकरीपालन आय का एक मुख्य स्रोत है|बकरीपालन के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता नहीं होती है,इसलिए  किसान खेती के साथ-साथ वैकल्पिक आमदनी के लिए औसतन 4 से 5 बकरियों को रखते हैं, बकरियों को एटीएम भी कहा जाता है, क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत इससे नकद आय प्राप्त हो जाती है|डाॅ.कुमार ने कहा कि अभी राज्य में बकरियों का घनत्व प्रति 1000 परिवार पर 638 बकरी का है, बिहार में वर्ष 2016-17 में दूध का उत्पादन 2.02 लाख टन एवं मांस का उत्पादन 85 हजार टन था|बिहार में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा बकरीपालन हेतु समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना चलाई जा रही है,जिसके अन्तर्गत जीविका के माध्यम से उन्नत नस्ल के तीन प्रजनन योग्य बकरियों का गरीब परिवारों के बीच निशुल्कः वितरण किया जा रहा है साथ ही निजी क्षेत्रों में बकरी फार्म की स्थापना पर 50 प्रतिशत की अनुदान योजना चलाई जा रही है|इस अवसर पर डाॅ.जितेन्द्र प्रसाद निदेशक बामेती, डाॅ.अभय मानकर उप निदेशक (शिक्षा) बि.कृ.वि.सबौर भागलपुर, डाॅ.सपना कुमारी एल.आर.ओ.पशुपालन निदेशालय बिहार,शंभु प्रसाद सिंह संयुक्त निदेशक (पी.पी.एम.) कृषि विभाग, नरेन्द्र कुमार लोहानी उप निदेशक अभियंत्रण सह कृषि मंत्री के ओ.एस.डी, डाॅ.पंकज कुमार सहायक प्राध्यापक बिहार चिकित्सा महाविद्यालय पटना,डाॅ.एस.पी.साहू सहायक प्राध्यापक (एल.पी.एम.),बि.भी.सी. पटना,डाॅ.रंजन कुमार एस.एम.एस. कृषि विज्ञान केन्द्र बिरौली समस्तीपुर के अलावे राज्य के लगभग 300 बकरीपालन व्यवसाय से जुड़े महिला-पुरूष किसानों ने भाग लिया|

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