फुलवारीशरीफ : पटना एम्स के निदेशक डा प्रभात कुमार सिहं ने बताया कि एम्स जटिल एंव क्रोनिक बिमारियों के ईलाज के लिए प्रतिबद्ध है,चाहे किसी तरह का रोग हो, विशेष कर दमा का एम्स में संपूर्ण इलाज की व्यवस्था है, यहां दमा के लिए जांच की नई मशीन आ गयी है| विश्व दमा दिवस पर पलमोनरी मेडीसीन विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम का उदघाटन करते हुये निदेशक ने कहा कि दमा का इलाज हो तो यह ठीक हो सकता है|पल मोनरी मेडीसीन के विभागध्यक्ष डा दीपेन्द्र कुमार राय ने कहा कि अस्थमा यानी दमा से पूरे भारत मे साढ़े तीन करोड़ लोग ग्रसित हैं,अस्थमा बच्चों से लेकर बुजुर्गों में हो सकता है |अस्थाम रोगियो की संख्या बढ़ती जा रही है अगर इसपर काबू नहीं पाया गया तो यह भयावह रूप ले लेगा| डा राय ने कहा कि अस्थमा का मुख्य कारण प्रदुषण है तथा एक क्रोनीक बिमारी है जिसे नियंत्रित किया जा सकता है|उन्हें अस्थमा पर पटना एम्स के शोध में पता चला है कि लगभग 70 प्रतिशत मरीज का अस्थमा बीच में दवा छोड़ने के कारण नियंत्रित नहीं हो पाता है|डा राय ने कहा कि एम्स में नयी मशीन डिफयुजन आॅफ कार्बन मोनोसइड यानी डीएलसीओ आ गयी है जो फेफडा के सांस नली की विस्तृत जांच करती है| प्रदूषण कम करने के लिए परिसर मे पौधारोपण भी किया गया ताकि वातावरण शुद्व रहे,इस अवसर पर करीब तीन सौ से अधिक दमा रोगियों की जांच हुयी|मौके पर पूर्व अधीक्षक डा एसएस गुप्ता, डा संजय पांण्डये,डा अभिषेक, डा राहूल, डा शोमेश ठाकुर मौजुद थे|