नईदिल्ली ; केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में वर्ष २०१५-१६ का आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि भारतीय कृषि प्रणाली मुख्य रूप से मिश्रित फसल-पशुधन प्रणाली है| इसमें पशुधन रोजगार उपलब्ध कराकर पशु एवं खाद तैयार कर कृषि आय को बढ़ा रहा है, विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन में १८.५ प्रतिशत के साथ भारत दुग्ध उत्पादन में पहले स्थान पर है|वर्ष २०१३-१४ के दौरान १३७.६९ मिलियन टन के मुकाबले २०१४-१५ के दौरान दूध का वार्षिक उत्पादन १४६.३मिलियन टन रहा इसमें कुल ६.२६ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है|खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार विश्व में दुग्ध उत्पादन में कुल ३.१ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है,वर्ष २०१३ में ७६५ मिलियन टन के मुकाबले वर्ष २०१४ में यह ७८९ मिलियन टन पहुंच गया|भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता १९९०-९१ में १७६ ग्राम प्रतिदिन के मुकाबले वर्ष २०१४-१५ के दौरान ३२२ ग्राम प्रतिदिन पहुंच गई जो वर्ष २०१३ के दौरान विश्व के औसत २९४ ग्राम प्रतिदिन की तुलना से अधिक है|यह बढ़ती आबादी के लिए दूध और दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता में हुई निरंतर वृद्धि को दर्शाता है,ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में लगे परिवारों के लाखों लोगों के लिए डेयरी आय का एक महत्वपूर्ण सहायक स्रोत है|डेयरी उद्योग की सफलता दूध के संग्रह की एकीकृत सहकारी प्रणाली, परिवहन, प्रसंस्करण और वितरण दूध के उत्पादों एवं पाउडर में परिवर्तित करने आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों पर मौसमी प्रभाव को न्यूनतम करने, दूध और दुग्ध उत्पादों के खुदरा वितरण, मुनाफे का किसानों के साथ बंटवारा करने का परिणाम है|पोल्ट्री क्षेत्र में सरकार का ध्यान वाणिज्यिक पोल्ट्री उत्पादन बढ़ाने के लिए उपयुक्त नीतियां तैयार करने के अलावा,पारिवारिक पोल्ट्री प्रणाली को मजबूत बनाने पर है|हाल के वर्षों में अंडा एवं मछली दोनों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है|२०१४-१५ में अंडा उत्पादन ७८.४८ बिलियन अंडों के आसपास रहा जबकि कुक्कुट मांस अनुमानतः ३.०४ मिलियन टन रहा|मछली पालन देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत है जबकि कृषि जीडीपी का ५.०८ प्रतिशत है|२०१४-१५ के दौरान कुल मछली उत्पादन १०.१६ मिलियन टन था जिसमे वर्ष २०१५-१६ की अंतिम तिमाही के दौरान भी उत्पादन में बढ़ोत्तरी देखने को मिला यह अनुमानतः४.७९ मिलियन टन (अनंतिम) है|कृषि क्षेत्र में कृषि और गैर-कृषि गतिविधियों के विविधीकरण के संदर्भ में मुर्गी पालन और पशुधन उत्पादों का आजीविका में काफी महत्व है|