एनएचआरसी 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस मनाएगा

नई दिल्ली :10 दिसंबर 1948 से इस दिन मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के संस्‍मरण में दुनिया भर में मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है| इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सभी व्‍यक्तियों के लिए मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन हेतु एक वैश्विक मानक के रूप में अपनाया और घोषित किया गया था, चाहे उनकी जाति, लिंग, रंग, पंथ, भाषा, राजनीतिक आस्था या किसी अन्य स्थिति कोई भी हो| इस ऐतिहासिक दस्तावेज की 75 साल की यात्रा को संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने भारी समर्थन दिया है|हाल ही में एशिया प्रशांत के राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों (एनएचआरआई) का एक सम्मेलन, एनएचआरसी, भारत द्वारा नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसमें इसने अपने “दिल्ली घोषणापत्र” में यूडीएचआर के स्थायी महत्व की भी पुष्टि की| आयोग ने मानव अधिकार केंद्रित नीतियों और कानून के निर्माण में सरकारों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़कर मानव अधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए दुनिया भर में एनएचआरआई की स्थापना के लिए एक मानदंड के रूप में ‘पेरिस सिद्धांतों’ के प्रारूपण का मार्गदर्शन किया है|राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के लिए यह दिवस राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सभी हितधारकों के लिए एक अवसर और अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है ताकि वे अपने अतीत और भविष्य के कार्यों और जिम्मेदारियों पर विचार कर सकें और सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में काम कर सकें, जो इस वर्ष के मानव अधिकार दिवस का विषय भी है|एनएचआरसी, भारत मानव अधिकार दिवस मनाने के लिए 10 दिसंबर, 2023 को सुबह 10 बजे भारत मंडपम, नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है| भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे और दर्शकों को संबोधित करेंगे| इस अवसर पर एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा; सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले और राजीव जैन; महासचिव भरत लाल,अन्य वरिष्ठ अधिकारी,वैधानिक आयोगों के सदस्य, राज्य मानव अधिकार आयोग,राजनयिक,विशेष प्रतिवेदक, विशेष मॉनिटर, शिक्षाविद और नागरिक समाज के सदस्य, गैर सरकारी संगठन, मानव अधिकार संरक्षक सहित अन्य उपस्थित रहेंगे|एनएचआरसी,भारत अपनी स्थापना के बाद से ही लोगों के नागरिक,राजनीतिक,आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार काम कर रहा है|आयोग ने विभिन्न मानव अधिकार मुद्दों पर सार्वजनिक अधिकारियों और नागरिक समाज के बीच जागरूकता बढ़ाने और अपनी विभिन्न पहलों और गतिविधियों के माध्यम से नीतियों और कार्यक्रमों में मानव अधिकार-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया है|अपनी स्थापना के बाद से पिछले 30 वर्षों में,आयोग ने 22.48 लाख से अधिक मामले दर्ज किए,22.41 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया और मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को राहत के रूप में 230 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान की सिफारिश की|पिछले एक वर्ष के दौरान 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक आयोग ने 80,376 मामले दर्ज किए, जिनमें स्वत: संज्ञान के 117 मामले शामिल हैं,आयोग द्वारा संबंधित सार्वजनिक प्राधिकरणों की जांच रिपोर्टों और अपनी जांच टीमों के निष्कर्षों के आधार पर पुराने और नए मामलों सहित 88,451 का निपटारा किया गया है|आयोग ने 390 मामलों में मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को राहत के रूप में 18.27 करोड़ रुपये से अधिक की सिफारिश की,अपनी पहुंच को व्यापक बनाने और मामलों के समाधान में तेजी लाने के लिए,’एचआरसीनेट पोर्टल’ द्वारा शिकायतों के दोहराव को खत्म करने और मामलों की स्थिति पर नज़र रखने में सहायता करने के लिए कई राज्य मानव अधिकार आयोगों (एसएचआरसी) को शामिल किया है|आयोग द्वारा समाज के विभिन्‍न वर्गों के मानव अधिकारों के मामलों में सुधार लाने के लिए  परामर्शी जारी करने के अपने प्रयासों को जारी रखा है|पिछले एक वर्ष के दौरान,आयोग ने ‘कैदियों द्वारा जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या के प्रयासों को कम करने, ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण को सुनिश्चित करने’, मानसिक स्वास्थ्य’ और ‘बाल यौन शोषण सामग्री (सीसैम) के उत्पादन,वितरण और उपभोग के खिलाफ बच्चों के अधिकारों का संरक्षण’ से संबंधित 4 और परामर्शी जारी की हैं,कोविड-19 महामारी के बाद से,आयोग ने अब तक 25 परामर्शियां जारी की हैं|आयोग दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर दर्ज स्वत: संज्ञान मामलों की सुनवाई भी कर रहा है,जो आयोग के लिए जलवायु परिवर्तन,व्यापार और मानव अधिकारों, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और आश्रय घरों की बेहतरी, मानसिक रूप से बीमार रोगियों के अधिकारों और पुनर्वास से संबंधित मुद्दों, साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में मानव अधिकारों के उल्लंघन की कई अन्य शिकायतें के अलावा आयोग के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है|एनएचआरसी अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नेतृत्व में आयोग पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, व्यापार और मानव अधिकारों पर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है| मानव अधिकारों के विभिन्न विषयगत मुद्दों पर अपने कोर ग्रुप सहित विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श,राष्ट्रीय आयोगों और राज्य मानव अधिकार आयोगों के साथ बैठकें, शिविर बैठकें, विशेष रिपोर्टर्स और विशेष मॉनिटरों के दौरों, जेलों, निरीक्षण गृहों, स्कूलों, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों, पुलिस स्टेशनों, लड़कों और लड़कियों के लिए किशोर गृहों, राज्य सामाजिक कल्याण विभागों, वृद्ध जनों के लिए गृहों, अस्पतालों, आंगनवाड़ी आदि में मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच, निगरानी, मूल्यांकन, सलाह और रिपोर्ट करने के लिए एनएचआरसी द्वारा देश में मानव अधिकारों की स्थिति पर नजर रखने और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक सिफारिशें करने के लिए कुछ प्रभावी तंत्र बनाए गए हैं|राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग मानव अधिकार शिक्षा और जागरूकता को भी बढ़ावा दे रहा है, इसके प्रमुख द्वि-मासिक ऑनलाइन अल्पकालिक इंटर्नशिप और महीने भर के शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप ने देश भर के सैकड़ों छात्रों को लाभान्वित किया है, इसके अलावा विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मानव अधिकार कार्यशालाओं को प्रायोजित करने और एक दिन के अभिविन्यास के लिए विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों और संकायों को यात्रा की सुविधा प्रदान की गई है| आयोग द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिए अपनी वार्षिक वाद-विवाद प्रतियोगिता, मानव अधिकारों पर लघु फिल्मों के लिए प्रतियोगिता जारी है, जो मानव अधिकार मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इसकी कुछ महत्वपूर्ण प्रमुख गतिविधियों में से हैं|

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