नईदिल्ली ; प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत सरकार ने देश के बचे हुए १८,४५२ गांवों में १००० दिनों यानी १ मई २०१८ तक बिजली पहुंचाने का फैसला किया है|इस परियोजना का काम मिशन मोड के तहत शुरू किया किया गया,नई रणनीति में इस योजना को लागू करने की अवधि घटा कर १२ महीने कर दी गई|इसके तहत गांवों में बिजली पहुंचाने की प्रक्रिया को १२ माइल स्टोनों में बांटा गया और इसकी निगरानी के लिए एक टाईमलाइन तय किया गया|वर्ष २०१५-१६ के दौरान अब तक देश के ५०७२ गांवों में बिजली पहुंचाई गई हैं बचे हुए १३,४२५ गांवों में से १०,४८७ गांवों में ग्रिड के जरिये बिजली पहुंचाई जानी है,जबकि १९९७ गांवों में ऑफ-ग्रिड बिजली पहुंचाई जानी है|ऐसे गांवों में भौगोलिक दिक्कतों की वजह से ये गांव ग्रिड सॉल्यूशन की पहुंच से बाहर हैं ९४१ गांवों में बिजली खुद राज्य सरकारें पहुंचाएंगी|अप्रैल २०१५ से लेकर १४ अगस्त २०१५ तक कुल १६५४ गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है सरकार की ओर से बिजली पहुंचाने के कार्यक्रम को मिशन मोड में शुरू करने के बाद १५ अगस्त २०१५ से लेकर १७ फरवरी तक अतिरिक्त ३३७३ गांवों में बिजली पहुंचाई गई|इस काम में तेजी लाने के लिए ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) की ओर से इसकी लगातार निगरानी की जा रही है, इसके तहत सामान्य आधार पर कई कदम उठाए जा रहे है|इनमें मासिक आधार पर आरपीएम बैठक के दौरान इस दिशा में होने वाली प्रगति की समीक्षा से लेकर बिजली पहुंचाने के विभिन्न स्तरों पर मौजूद राज्य डिस्कॉम के गांवों की सूची को साझा करने और उन गांवों की पहचान का काम शामिल है जहां बिजली पहुंचाई जानी है|