एक दशक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार की उपलब्धियां |

MGNREGA_Logo नईदिल्ली ; २ फरवरी २०१६ को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (एमजीएनआरईजीए) को लागू हुए दस वर्ष हो जाएंगे, इस कानून की एक दशक की उपलब्धि राष्ट्रीय गौरव का विषय है|इस कार्यक्रम की शुरुआत से अब तक इस पर ३,१३,८४४.५५ करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं जिसमे  ७१ प्रतिशत राशि श्रमिकों को पारिश्रमिक देने में खर्च हुई है|श्रमिकों में अनुसूचित जाति के श्रमिकों की संख्या २० प्रतिशत बढ़ी है जबिक अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों की संख्या में १७ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है| इस तरह १९८०.०१ करोड़ रुपये के मानव दिवस सृजित किए गए इसमें महिला श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है जो संवैधानिक न्यूनतम संख्या से ३३ प्रतिशत अधिक है|इस दौरान टिकाऊ परिसंपत्ति का निर्माण हुआ इन्हें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और समग्र ग्रामीण विकास से जोड़ा गया|इस कार्यक्रम के तहत किए गए ६५ प्रतिशत से ज्यादा काम कृषि और इसकी सहायता से जुड़ी गतिविधियों में हुआ है|गत वर्ष २०१५-१६ के दौरान कार्यक्रम में नए सिरे से जान फूंकी गई इस दौरान दूसरी तिमाही ( ४५.८८ करोड़) और तीसरी तिमाही (४६.१०) में सबसे अधिक मानव दिवस सृजित हुए जो पिछले पांच वर्ष के दौरान सृजित मानव दिवस से अधिक हैं|इस कार्यक्रम के तहत ४४ प्रतिशत पारिश्रमिक का भुगतान समय पर किया गया ६४ प्रतिशत से ज्यादा राशि कृषि और इससे जुड़ी सहायक गतिविधियों में खर्च की गई जो तीन वर्ष में सबसे अधिक है| ५७ प्रतिशत श्रमिक महिलाएं हैं जो अनिवार्य ३३ प्रतिशत की सीमा से कहीं अधिक है यह भी तीन वर्ष में सबसे अधिक है|सभी मानव दिवसों में से २३ प्रतिशत हिस्सेदारी अनुसूचित जाति वर्ग के श्रमिकों की है जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग के श्रमिकों की हिस्सेदारी १८ प्रतिशत है|इस कार्यक्रम में नई रफ्तार ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से शुरू किए गए कई सुधार कार्यक्रमों की वजह से आई है इनमें से सबसे महत्वपूर्ण राज्यों को समय पर कोष जारी करना रहा है|योजना को लागू करने वाली एजेंसियों और लाभार्थियों को समय और पारदर्शी ढंग से कोष जारी करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया गया| इसके लिए बैंकों और डाकघरों के बीच बेहतर समन्वय की व्यवस्था की गई और भुगतान के लंबित होने के मामलों पर नजर रखी गई|साथ ही पारिश्रमिक भुगतान में लगने वाली अवधि भी घटाई गई मंत्रालय ने सूखाग्रस्त नौ राज्यों में संकट परने पर तुरंत कदम उठाए और वहां के संकटग्रस्त इलाकों में ५० दिनों का अतिरिक्त रोजगार दिया गया|आने वाले वर्षों में मनरेगा की प्रक्रिया को सरल और मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा इस संबंध में एक मास्टर सर्कुलर जारी किया जा रहा है|इसमें इस कानून को लागू करने के संबंध में केंद्र सरकार के सभी प्रमुख निर्देशों को मिला दिया जाएगा राज्यों को इसमें लचीलापन लाने के लए प्रोत्साहित किया जाएगा|इस संबंध में समवर्ती ऑडिट और निगरानी की जाएगी मंत्रालय श्रमिकों को कुशल भी बनाएगा, प्रोजेक्ट लाइफ के जरिये ऐसे १०००० तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा| 

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