किशोर न्याय अनुश्रवण समिति की वार्षिक बैठक संपन्न

पटना : किशोर न्याय अनुश्रवण समिति माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ के साथ मिलकर दिव्यांग बच्चों का संरक्षण विषय पर वार्षिक राज्य स्तरीय हितधारक परामर्श संगोष्ठी का सफलता पूर्वक आयोजन स्थानीय ज्ञान भवन में किया गया| जिसमें न्यायिक पदाधिकारियों, सरकार के विभिन्न अधिकारियों, कानून विशेषज्ञों बाल अधिकार अधिवक्ताओं और बाल संरक्षण पेशेवरों ने भाग लिया| इस परामर्श संगोष्ठी का उद्देश्य बिहार राज्य में दिव्यांग बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए चुनौतियों, अवसरों और रणनीतियों पर विचार.विमर्श करना था जिसमें दिव्यांगता की गहरी समझ, राष्ट्रीय और राज्यस्तर पर परिदृश्य पूर्वाग्रहों और बाधाओं का सामना करने के तरीकों और नीति संबंधी ढांचों पर चर्चा की गई|कार्यक्रम की शुरुआत बिहार नेत्रहीन परिषद पटनाअंतर्गत संचालित अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा राष्ट्रगान से हुई|तत्पश्चात उद्घाटन सत्र की शुरुआत श्रीमती रचना श्रीवास्तव अपर निबंधक.सह.सचिव किशोर न्याय अनुश्रवण समिति उच्च न्यायालय पटना के स्वागत भाषण और यूनिसेफ बिहार के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पांडेय द्वारा परिचय भाषण के साथ हुई|बिहार सरकार के मुख्य सचिव बृजेश मेहरोत्रा और समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने किशोर न्याय देखभाल और संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया|उन्होंने कहा कि मिशन वात्सल्य यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया कि कोई भी बच्चा पीछे न रहे, जिसमें सीसीआई में विशेष इकाइयाँ विकलांग बच्चों को लक्षित सेवाएँ प्रदान कर रही हैं|उद्घाटन सत्र न्यायमूर्ति श्री पी.बी.भजंत्री न्यायाधीशसह अध्यक्ष किशोर न्याय अनुश्रवण समिति उच्च न्यायालय पटना,विशेष अतिथि न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह पूर्व  न्यायाधीश उच्च न्यायालय पटना, सम्मानित अतिथि  न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय तथा मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अभय एस. ओक न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय की अध्यक्षता में संपन्न हुई| सम्मानित अतिथि न्यायमूर्ति  एहसानुद्दीन अमानुल्लाह न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय  दिल्ली ने सरकार से दिव्यांग बच्चों की पहचान और सहयोग के लिए सक्रिय रूप से काम करनेका आह्वान किया, बजाय इसके कि वे सहायता मांगने की प्रतीक्षा करें| उन्होंने समाज से आगे आकर इन बच्चों की सहायता करने का आग्रह किया एवं इस बात पर बल दिया कि मानवता के आगे कोई धर्म नहीं है|उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अभय एस ओक न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली ने किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल देते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए जो गरिमा के साथ जीवन जीनेका अधिकार प्रदान करता है को रेखांकित किया|उन्होंने विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों सहित प्रत्येक हित धारक को इसके प्रावधानों से अवगत कराने के महत्व पर जोर दिया|उद्घाटन सत्र के बाद चार तकनीकी सत्र हुए जिनकी अध्यक्षता क्रमशः पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद,न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह और पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा ने की| तकनीकी सत्रों की सह.अध्यक्षता क्रमशः बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा, बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सदस्य सचिव श्रीमती शिल्पी सोनी राज, महिला एवं बाल विकास निगम बिहार की प्रबंध निदेशक श्रीमती बंदना प्रेयशी और यूनिसेफ के सामाजिक नीति विशेषज्ञ डॉ. अभय कुमार ने की|कार्यक्रम में प्रख्यात वक्ताओं में वी. एस.ओ.के ग्लोबल लीड एडवाइजर प्रवीण कुमार गुरुनाथ, भारत विकास विकलांग पुनर्वास केंद्र के महासचिव डॉ. बिमल कुमार जैन,शुभम विकलांग संस्थान मुजफ्फरपुर की संस्थापक डॉ. संगीता अग्रवाल, हक सेंटर की निदेशिका श्रीमती भारती अली, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव, बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह, बाल अधिकार अधिवक्ता अनंत कुमार अस्थाना, गया के जिलाधिकारी डॉ. त्याग राजन एस.एम, समाज कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत कुमार सी.एच. और बिहार के राज्य आयुक्त विकलांगता कौशल किशोर ने विषय विशेषज्ञों के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया|कार्यक्रम का समापन यूनिसेफ बिहार के बाल संरक्षण विशेषज्ञ बंकू बिहारी सरकार द्वारा प्रस्तुत मुख्य बातों और कार्यवाही योग्य कदमों के सारांश के साथ हुआ जिसके बाद बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत कुमार सी.एच. ने धन्यवाद ज्ञापन किया|किशोर न्याय अनुश्रवण समितिए पटना उच्च न्यायालय तथा समाज कल्याण विभागए बिहार सरकार और यूनिसेफ बिहार के बीच सहयोगए विकलांग बच्चों के अधिकारों और अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए एक एकीकृत प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है| यह परामर्श एक अधिक समतापूर्ण और समावेशी समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है|

 

0Shares