थैलेसीमिया इलाज के लिए मिलेगा 15 लाख : मंगल पांडेय

पटना : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कैबिनेट के द्वारा मुख्यमंत्री बाल थैलेसीमिया योजना को स्वीकृति दी गई है| बिहार में मौजूदा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए बिहार सरकार ने बड़ी राहत की घोषणा की है,अब इन बच्चों का राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क बोनमैरो ट्रांसप्लांट करवाया जाएगा|जिससे इन बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की परेशानी से निजात मिल जाएगी,साथ ही परिवार पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ से भी राहत मिलेगी|अक्सर गरीब परिवार के बच्चों में जब यह बीमारी मिलती है, तो अधिक खर्च की वजह से यह ट्रांसप्लांट कराना संभव नहीं हो पाता है|मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में विभाग ऐसे बच्चों को उचित मदद पहुंचाने में कृत- संकल्पित है,जिसके लिए बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी ) वेल्लोर के बीच करार होगा| इस योजनान्तर्गत मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से प्रति रोगी 15 लाख का वित्तीय अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा|श्री पांडेय ने बताया कि बिहार सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है|बैठक में स्वास्थ्य विभाग,बिहार सरकार एवं क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी),वेल्लोर तमिलनाडु द्वारा संयुक्त रूप से बिहार के बच्चों (12 वर्ष तथा उससे कम आयु) में पायी जाने वाली बीटा थैलेसीमिया मेजर का निरोधात्मक उपचार, बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन कराने के लिए योजना को स्वीकृति दी गई है,थैलेसीमिया एक गंभीर,जन्मजात एवं वंशानुगत बीमारी है| जिसमें माता-पिता में पाए जाने वाले इस रोग की वजह से नवजात शिशु भी इस जानलेवा रोग से ग्रसित हो जाता ह|बीटा थैलेसिमिया मेजर इसका सबसे गंभीर रूप है, जिसमें अस्थिमज्जा (बोन मैरो) में खून के लाल रक्त कण का उत्पादन बंद हो जाता है|रक्ताल्पता की वजह से शरीर का विकास अवरुद्ध हो जाता है और अन्य अंगों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है, इस स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन एक स्थायी उपचार है|श्री पांडेय ने बताया कि इस योजनान्तर्गत, बिहार के 12 वर्ष या उससे कम आयु के बीटा थैलेसीमिया मेजर से ग्रसित रोगी, जिनका लीवर साइज 5 सेंटीमीटर से कम हो लाभान्वित होंगे| इस योजना के तहत रोगी,मानव ल्योकोसाइट एंटीजन (एचएलए) मैच डोनर एवं रोगी के अभिभावक को वेल्लोर (तमिलनाडू) भेजा जाएगा, जहां उनका एक मानक संचालन प्रक्रिया के तहत बोन मैरो का प्रतिस्थापना किया जाएगा| इस पूरी प्रक्रिया में प्रति रोगी लगभग 15 लाख रुपये का व्यय होगा, जिसे मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से वहन किया जाएगा|चिकित्सकों के अनुसार बोनमैरो ट्रांसप्लांट के पहले एचएलए मैचिंग की जरूरत होती है, इसका मतलब यह हुआ कि पीड़ित बच्चे के भाई-बहन के बोन मैरो मैच कराए जाते हैं|जिसमें पीड़ित बच्चों के भाई-बहन से 100 फीसदी एचएलए मैच करने पर ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट संभव होता है|

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