पटना : ‘‘पुस्तक हमारे मित्र एवं मार्गदर्शक हैं, हमें पुस्तक पढ़ने की आदत डालनी चाहिए तथा बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए,इससे युवा पीढ़ी का चरित्र निर्माण होगा तथा वह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनेगी|’’ – यह बातें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बिहार विधान परिषद् के सभागार में आयोजित ‘स्व. प्रो. शत्रुध्न प्रसाद स्मृति व्याख्यानमाला’ कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही|उन्होंने स्व. शत्रुध्न बाबू के व्यक्त्वि एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पित था,उन्होंने अपने पद को गौरव नहीं बल्कि दायित्व माना|उनके बारे में बार-बार चिंतन करने से समाज का प्रबोधन होता रहेगा,महाराणा प्रताप एवं शिवाजी के बारे में उनका लेखन प्रेरणादायी है|उनकी कृतियाँ समाज की संपत्ति हैं तथा उन्हें हमारी युवा पीढ़ी को पढ़नी चाहिए ताकि वे उनसे प्रेरणा ग्रहण कर सकें|राज्यपाल ने बच्चों के मोबाईल की आदत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए, इससे उनके चरित्र का निर्माण होगा| उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़ने की रूचि होने पर ही उनके प्रकाशन और विमोचन की सार्थकता है, हमें पुस्तक पढ़ने की आदत डालनी चाहिए, इससे बच्चे भी इसके लिए प्रेरित होंगे, हमारे घर में साहित्यों का उपलब्ध रहना भी आवश्यक है|इस अवसर पर राज्यपाल ने आचार्य अभिनव गुप्त का सौन्दर्य सिद्धांत एवं स्व. शत्रुध्न प्रसाद जी से संबद्ध पुस्तकों का लोकार्पण किया|कार्यक्रम को बिहार विधान परिषद् के सभापति अवधेश नारायण सिंह, बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य अरूण कुमार भगत एवं प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय प्रमुख रामाशीष सिंह ने भी संबोधित किया| इस अवसर पर स्व. प्रो. शत्रुध्न प्रसाद जी की धर्मपत्नी श्रीमती उर्मिला प्रसाद, रणेन्द्र कुमार,राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के सदस्य डाॅ. विजयेन्द्र कुमार एवं अन्य लोग उपस्थित थे|