फेफड़े का कैंसर सबसे घातक : डॉ. प्री‍तांजलि

पटना : एम्स  पटना के संयुक्‍त तत्‍वावधान में  6 एवं  7 अक्‍टूबर 2018 को 9th National Conference NALCCON 2018 का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय ने किया| दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन लंग कैंसर से संबंधित विषय पर चर्चा हुई, इस सत्र में देशभर के डॉक्‍टर शामिल हुए| AIIMS, पटना की एसोसिएट प्रोफेसर और रेडियोथेरेपी की डिपार्टमेंट हेड डॉ. प्री‍तांजलि सिंह ने बताया कि फेफड़े का कैंसर सबसे घातक माना जाता है, विश्‍व में ये 11.6 प्रतिशत है और भारत में 5.9 प्रतिशत है| करीब दो मिलियन लोग पूरे विश्‍व में हर साल इस भयानक कैंसर से मौत का शिकार हो जाते हैं, पूरे विश्‍व में पुरूषों में 14.4 प्रतिशत और महिलाओं में 8.4 प्रतिशत है, भारत में पुरूषों में8.5 प्रतिशत और महिलाओं में 3.3 प्रतिशत है|प्रख्‍यात सर्जन एवं सवेरा कैंसर और मल्‍टी स्‍पेशियालिटी हॉस्‍पीटल के डायरेक्‍टर डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि आमलोगों में इसकी जानकारी का अभाव है, इतना ही नहीं मेडिकल फर्टनिटी में भी इस बीमारी के बारे में बहुत कम जानकारी है| भारत में मौजूदा लंग कैंसर के हालत के बारे में डॉ डी बेहेरा और डॉ अमनजीत बाल ने मॉलीकुलर टेस्टिंग शोध के बारे में बताया| इसके अलावा इस कांफ्रेंस में सेल लेकर जिन, मॉलीकलर स्‍टडी, टारगेटेड थेरेपी, कीमो थेरेपी, सर्जरी रेडियो थेरेपी की विभिन्‍न तकनीकों पर प्रजेंटेशन दिया गया और वर्कशॉप भी आयोजित किया गया, इस आयोजन में करीब 300 डेलीगेट देश के हर कोने से शामिल हो रहे हैं|इस दौरान देश के अन्‍य जगहों कोलकाता से डॉ जी एस भट्टाचार्य, चंडीगढ़ से अमनजीत बाल, डॉ नवनीत सिंह, दिल्‍ली से डॉ उलास बत्रा, मुंबई से डॉ संजय शर्मा, डॉ जेपी अग्रवाल, डॉ कुमार प्रभास, इंदौर से डॉ एस एस नैयार डॉ राकेश कपूर, डॉ प्रभात मलिक, डॉ सूर्यकांत ने अपना वक्‍तव्‍य दिया| वक्‍ताओं ने तंबाकू, रेडियो थेरेपी, वायु प्रदूषण, पैसिव स्‍मोकिंग पर जानकारी दायक वयाख्‍यान दिया| डॉ रीचा सिंह ने बताया कि एक महीने से ज्‍यादा खांसी, आवाज में बदलाव, सीने में भारीपन, खाना निगलने में परेशानी को नजरअंदाज करना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है|

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